कैसा पागल मन || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2013)

2019-11-25 0

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शब्दयोग सत्संग
१९ जून २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

1. मनवा तो फूला फिरै,कहै जो करूँ धरम ।
कोटि करम सर पर चढ़े, चेति न देखे मरम।।

2. मन जाणैं सब बात, जाणत ही औगुण करै।
काहे की कुसलात, कर दीपक कूँ बैं पड़ै॥

~ गुरु कबीर

संगीत: मिलिंद दाते